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लेखनी प्रतियोगिता -02-Oct-2022


माता के अद्भुत रूपों
के पूजन का त्योहार है
माता तो बस माता है
उसके भेद अपार है।

पर माता को तुमने
क्या अब तक पहचाना है
क्या माता बस उतनी ही है
जितना हमने जाना है।

ये माता के हैं रूप सभी
दुनिया में जितनी नारी हैं
ये बेटी, माता, बहू, बहन
सब उसकी ही अवतारी हैं।

जब माता बेटी बनती है
तब शैलपुत्री बन जाती है
जब शिक्षा धारण करती है
तब ब्रह्मचारिणी कहलाती है।

जब संगीत, ज्ञान से सजती है
तब चन्द्रघंटा होती है
जब रूपवती कौमारी हो
वो तब कुष्मांडा होती है।

बच्चों को गोद उठाकर के
स्कंदमाता बन जाती है
और बच्चों के संकट हरने को
कात्यायनी कहलाती है।

बच्चों के सभी शत्रुओं को
वो मारे कालरात्रि बनकर
घर भरती है सुख सम्पति से
महागौरी का रूप धरकर।

फिर जब माता अपने बच्चों को
धर्म मोक्ष समझाती है
तो माता सब रूपों से हटकर
सिद्धिदात्री बन जाती है।

क्या तुमने इन सारे रूपों को
अपने चहुंओर नहीं देखा है
इस धरती की हर एक नारी
उस जननी का ही लेखा है।

यदि मन मे कोई पाप उठे
तब कालरात्रि को याद करो
माता को न मजबूर करो
बस पाप का पश्चाताप करो।

ये कालरात्रि का रूप तो
दुष्टों को दंडित करने को है
मर्यादा की रक्षा करने
स्त्री का दुख हरने को है।

नारी को हम भोग्या समझें
इतने तो न कच्चे बनना
हर नारी को माता का रूप
समझकर बस बच्चे बनना।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।





   19
19 Comments

Gunjan Kamal

05-Oct-2022 07:26 PM

शानदार

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Bahut khoob 💐👍🌹

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Anshumandwivedi426

03-Oct-2022 11:15 PM

हृदयतल से धन्यवाद

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नंदिता राय

03-Oct-2022 09:28 PM

बेहतरीन

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Anshumandwivedi426

03-Oct-2022 10:07 PM

हृदय तल से धन्यवाद

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